कर दो मर्डर चौराहे पर / राजकिशोर सिंह
कौन है अपना कौन पराया
इस जग में नहीं लेऽा है
कौन दोस्त और कौन है दुश्मन
सभी को सटकर देऽा है
दोस्त को भी चाहकर तुम
बना सकते हो दुश्मन
काँटों को भी चाहकर तुम
बना सकते हो सुरभि सुमन
है न कोई बड़ी बात यह
मतलब के सब यार हैं
दुश्मनों को भी पड़े काम तो
झलकाते अगाध् प्यार हैं
पैसे से बनती है यारी
गुण अवगुण सब बेकार हैं
कितना भी कुछ कर लो मन में
पैसा नहीं तो तकरार है
काम पड़े अंजान से अगर
पैसा है तो वह अपना है
ऽाली कहीं है हाथ तो
अपनों से मिलना सपना है
तीव्र गति से चल रहा अभी
भौतिक सुऽ युग कैसा है
सारा संसार उसी का है
जिसकी जेब में पैसा है
कर दो मर्डर चौराहे पर
कोई न कहेगा हत्यारा
पर जेब कहीं ऽाली हो गर
तो नया पता है मंडलकारा
कौन कहता न्याय सही है
कहकर वह झुठलाता है
पैसा है जिसकी जेब में
न्याय वही सिऽलाता है।