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कलम कैवै कसाई रै खिलाफ लिख तूं / सांवर दइया
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कलम कैवै कसाई रै खिलाफ लिख तूं
जान लेवा दवाई रै खिलाफ लिख तूं
सावळ पाळी सांस बचती हुवै तो सुण
जापा बिगाड़ दाई रै खिलाफ लिख तूं
नखरो भांगण खातर भाई नै मारै
ऐड़ै हरेक भाई रै खिलाफ लिख तूं
गाभा उतार‘र ओप लावै उणियारै
ऐड़ी रोज कमाई रै खिलाफ लिख तूं
हक चींथणियां रै हकां खातर लड़ै क्यूं
बिरथा शीश कटाई रै खिलाफ लिख तूं