तमाम कलादीर्घाएँ मुझसे डरती हैं
क्योंकि हर बार जब मैं एक पूरा दिन गुज़ारता हूँ
किसी एक चित्र के सामने
दूसरे ही दिन वे घोषणा करते हैं
कि वह पेंटिंग ग़ायब है।
हर रात मैं चोरी करते हुए पकड़ा जाता हूँ
संसार के दूसरे हिस्से में,
परन्तु मैं ज़रा भी परवाह नहीं करता
उन गोलियों की जो सनसनाती हुई गुज़रती हैं
मेरे कान के क़रीब से
और पुलिस के उन कुत्तों की
जो पीछा कर रहे हैं
(उन प्रेमियों से बेहतर
जो पहचानते हैं अपनी प्रेमिकाओं के परफ्यूम की गन्ध)
मेरे रास्तों की गन्ध।
मैं उन चित्रफलकों से बतियाता हूँ
जो मेरे जीवन को ख़तरे में डालते हैं,
टाँग देता हूँ इन्हें बादलों और दरख़्तों के सहारे,
हटता हूँ पीछे कुछ क़दम
किसी आयाम की तलाश में ...
आप इन इतालवी उस्तादों के साथ
बहुत सहजता से बतिया सकते हैं।
गजब का शोर है यहाँ रंगों का!!!
और इसलिए मैं धर लिया जाता हूँ
हर बार इनके साथ
दूर से ही देख और सुन लिया जाता हूँ
जैसे मेरे हाथों में कोई तोता हो।
सबसे चुनौतिपूर्ण काम है
रैम्ब्राँ को चुराना
हाथ आगे बढ़ाओ, वहां अन्धकार है —
भय जकड़ लेता है आपको
उसके मनुष्यों के पास देह नहीं होती,
सिर्फ़ बन्द आँखें-अँधेरे तहखानों में।
वाँन गॉग के कैनवास विक्षिप्त हैं
वे गोल-गोल घुमाते हैं अपने सिर,
उन्हें कसकर पकड़ना होता है
अपने दोनों हाथों से,
चन्द्रमा से कोई ताक़त
उन्हें अपनी तरफ़ खींचती है।
पता नहीं क्यों, ब्रूशेल मुझे रुलाना चाहता है।
वह मुझसे ज़्यादा बुजुर्ग नहीं था,
परन्तु वे उसे बुजुर्गवार कह कर बुलाते
क्योंकि जब उसकी मृत्यु हुई
वह सब कुछ जानता था।
मैं इनसे भी कुछ सीखने की कोशिश करता हूँ
पर अपने आँसू नहीं रोक पाता
जो सोने के फ़्रेम पर गिरते हैं
जब मैं भागता हूँ
“द फोर सीज़न्स” को बगल में दबाए।
जैसा कि मैं कह रहा था, हर रात
मैं एक पेंटिंग चुराता हूँ
ईष्यणीय दक्षता के साथ
परन्तु यह रास्ता बहुत लम्बा है
इसलिए मैं पकड़ा जाता हूँ अन्त में
और लौटता हूँ घर देर रात
थकान से चूर
कुत्तों की वजह से तार-तार
अपने हाथों में बाज़ारू अनुकृति थामे ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मणिमोहन मेहता’