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कलावंती / ओम पुरोहित कागद

ऊभी है
बूढी खेजड़ी
धुर रिंघरोही में
मिटा डांगरां री भूख
बिना लूंग
जाणै ऊभी है
कोई कलावंती
हाथां में लियां
रावणहत्थो
सुरंगी राग उथलण

बादळ राजा!
पाणी दे
पाणी दे जिनगाणी दे!!