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कल जुग / नज़ीर अकबराबादी

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दुनिया अज़ब बाज़ार है, कुछ जिन्स<ref>वस्तु, गल्ला</ref> यां की सात ले।
नेकी का बदला नेक है, बदसे बदी की बात ले॥
मेवा खिला, मेवा मिले, फल फूल दे फल पात ले।
आराम दे आराम ले, दुख दर्द दे, आफ़ात ले॥
कल जुग नहीं, कर जुग है यह, यां दिन को दे और रात ले।
क्या खू़ब सौदा नक़्द है, इस हात दे उस हात ले॥1॥

कांटा किसी के मत लगा गौ मिस्ले गुल<ref>फूल के समान</ref> फूला है तू।
वह तेरे हक़ में तीर है, किस बात पर भूला है तू॥
मत आग में डाल और फिर एक घास का पूला है तू।
सुन रख यह नुक़्ता बे ख़बर किस बात पर फूला है तू॥
कल जुग नहीं, कर जुग है यह, यां दिन को दे और रात ले।
क्या खू़ब सौदा नक़्द है, इस हात दे उस हात ले॥2॥

शोख़ी<ref>चपलता, चंचलता, धृष्टता</ref> शरारत मक्रोफ़न<ref>धोखा, चालाकी का काम</ref> सबका बसेखा है यहां।
जो जो दिखाया और को, वह खुद भी देखा है यहां॥
खोटी खरी जो कुछ कहे, तिसका परेखा है यहां।
जो जो पड़ा तुलता है दिल, तिल तिल का लेखा है यहां॥
कल जुग नहीं, कर जुग है यह, यां दिन को दे और रात ले।
क्या खू़ब सौदा नक़्द है, इस हात दे उस हात ले॥3॥

जो और की बस्ती रखे उसका भी बसता है पुरा।
जो और के मारे छुरी, उसके भी लगता है छुरा॥
जो और की तोड़े धुरी उसका भी टूटे है धुरा।
जो और की चीते बदी, उसका भी होता है बुरा॥
कल जुग नहीं, कर जुग है यह, यां दिन को दे और रात ले।
क्या खू़ब सौदा नक़्द है, इस हात दे उस हात ले॥4॥

जो और को फल देवेगा, वह भी सदा फल पावेगा।
गेहूं से गेहूं, जौ से जौ, चावल से चावल पावेगा॥
जो आज देवेगा यहां, वैसा ही वह कल पावेगा।
कल देवेगा, कल पावेगा, कल पावेगा, कल पावेगा॥
कल जुग नहीं, कर जुग है यह, यां दिन को दे और रात ले।
क्या खू़ब सौदा नक़्द है, इस हात दे उस हात ले॥5॥

जो चाहे ले चल इस घड़ी, सब जिन्स यां तैयार है।
आराम में आराम है, आज़ार में आज़ार है॥
दुनिया न जान इसको मियाँ, दरिया की यह मझधार है।
औरों का बेड़ा पार कर, तेरा भी बेड़ा पार है॥
कल जुग नहीं, कर जुग है यह, यां दिन को दे और रात ले।
क्या खू़ब सौदा नक़्द है, इस हात दे उस हात ले॥6॥

तू और की तारीफ़ कर, तुझको सनाख़्वानी<ref>तारीफ</ref> मिले।
कर मुश्किल आसाँ और की, तुझको भी आसानी मिले॥
तू और को मेहमान कर, तुझको भी मेहमानी मिले।
रोटी खिला, रोटी मिले, पानी पिला, पानी मिले॥
कल जुग नहीं, कर जुग है यह, यां दिन को दे और रात ले।
क्या खू़ब सौदा नक़्द है, इस हात दे उस हात ले॥7॥

जो गुल खिलावे और का, उसका ही गुल खिलता भी है।
जो और का कीले है मुंह, उसका ही मुंह किलता भी है॥
जो और का छीलै जिगर उसका जिगर छिलता भी है।
जो और को देवे कपट, उसको कपट मिलता भी है॥
कल जुग नहीं, कर जुग है यह, यां दिन को दे और रात ले।
क्या खू़ब सौदा नक़्द है, इस हात दे उस हात ले॥8॥

कर चुक जो कुछ करना हो अब, यह दम तो कोई आन है।
नुक़्सान में नुक़्सान है, एहसान में एहसान है॥
तोहमत में यां तोहमत लगे, तूफान में तूफान है।
रहमान को रहमान है, शैतान को शैतान है॥
कल जुग नहीं, कर जुग है यह, यां दिन को दे और रात ले।
क्या खू़ब सौदा नक़्द है, इस हात दे उस हात ले॥9॥

यां ज़हर दे तो ज़हर ले, शक्कर में शक्कर देख ले।
नेकों को नेकी का मज़ा, मूजी को टक्कर देख ले॥
मोती जो दे मोती मिले, पत्थर में पत्थर देख ले।
गर तुझको यह बावर<ref>विश्वास</ref> नहीं, तो तू भी कर-कर देख ले॥
कल जुग नहीं, कर जुग है यह, यां दिन को दे और रात ले।
क्या खू़ब सौदा नक़्द है, इस हात दे उस हात ले॥10॥

अपने नफ़ा के वास्ते मत और का नुक़्सान कर।
तेरा भी नुक़्सां होवेगा, इस बात पर तू ध्यान कर॥
खाना जो खा तू देखकर, पानी पिये तो छान कर।
यां पांव को रख फूंक कर, और ख़ौफ से गुज़रान कर॥
कल जुग नहीं, कर जुग है यह, यां दिन को दे और रात ले।
क्या खू़ब सौदा नक़्द है, इस हात दे उस हात ले॥11॥

गफ़लत की यह जागह नहीं, यां साहिबे इदराक<ref>अक्लमंद</ref> रह।
दिलशाद<ref>खुश</ref> रख, दिल शाद रह, ग़मनाक<ref>दुखी</ref> रख, ग़मनाक रह॥
हर हाल में तू भी ”नज़ीर“, अब हर क़दम की ख़ाक रह।
यह वह मकां है ओ मियां! यां पाक रह बेबाक रह॥
कल जुग नहीं, कर जुग है यह, यां दिन को दे और रात ले।
क्या खू़ब सौदा नक़्द है, इस हात दे उस हात ले॥12॥

शब्दार्थ
<references/>