भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कवयित्री नहीं हूँ / पूजा कनुप्रिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं नियमों के बन्धन से परे
आकाश धरती की दूरी
नाप लेती हूँ क़लम से

दसों दिशाओं को
मध्य में समेटती
हथेलियों से विस्तार देती हूँ
बो देती हूँ हरियाली
मरूथल में
खिला देती हूँ मुस्कान
भूख से तड़पते चेहरों पर

रस छन्द अलंकारों से अनभिज्ञ
व्याकरण की परिधि से परे
रचना करती हूँ
इसीलिए
रचनाकार हूँ
कवयित्री नहीं हूँ...।