चौबीस घंटे ,
सातों दिन ,
बारहों मास ,
और सम्पूर्ण ज़िन्दगी |
ज़िन्दगी के किसी एक पल को जीने में
उसने ली थी कविताओं की मदद,
इसीलिये वह नहीं निकल सकता सारी ज़िन्दगी भर
कविताओं के जाल से |
कविताएँ हैं एक तिलिस्मी जाल |
चौबीस घंटे ,
सातों दिन ,
बारहों मास ,
और सम्पूर्ण ज़िन्दगी |
ज़िन्दगी के किसी एक पल को जीने में
उसने ली थी कविताओं की मदद,
इसीलिये वह नहीं निकल सकता सारी ज़िन्दगी भर
कविताओं के जाल से |
कविताएँ हैं एक तिलिस्मी जाल |