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कविता की सियाही से, हो कवियों का नाम / नंदेश निर्मल

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कविता की सियाही से, हो कवियों का नाम
कलम सत्य की राह हो, लगे परम वरदान
लगे परम वरदान, चेतना झंकृत कर दे
परिवर्तन की राह, सुलभ जन-जन का कर दे
निर्भयता से बोल, बने जो सबकी वनिता
जोड़े मन का तार, रहे जो सब की कविता।