कविता की सियाही से, हो कवियों का नाम
कलम सत्य की राह हो, लगे परम वरदान
लगे परम वरदान, चेतना झंकृत कर दे
परिवर्तन की राह, सुलभ जन-जन का कर दे
निर्भयता से बोल, बने जो सबकी वनिता
जोड़े मन का तार, रहे जो सब की कविता।
कविता की सियाही से, हो कवियों का नाम
कलम सत्य की राह हो, लगे परम वरदान
लगे परम वरदान, चेतना झंकृत कर दे
परिवर्तन की राह, सुलभ जन-जन का कर दे
निर्भयता से बोल, बने जो सबकी वनिता
जोड़े मन का तार, रहे जो सब की कविता।