Last modified on 3 सितम्बर 2018, at 17:38

कविता की सियाही से, हो कवियों का नाम / नंदेश निर्मल

कविता की सियाही से, हो कवियों का नाम
कलम सत्य की राह हो, लगे परम वरदान
लगे परम वरदान, चेतना झंकृत कर दे
परिवर्तन की राह, सुलभ जन-जन का कर दे
निर्भयता से बोल, बने जो सबकी वनिता
जोड़े मन का तार, रहे जो सब की कविता।