कविता कोश सूत्र 2016, नोहर, राजस्थान
"भाई, सब्ज़ियाँ मेरी तरफ़ से, कार्यक्रम के बाद सभी के लिए भोजन की व्यवस्था होगी और इसके लिए मेरे खेत से ताज़ा सब्ज़ियाँ आएँगी"
"श्रोताओं के बीच चाय/कॉफ़ी की ट्रे हम ले जाएँगे"
"बैनर मैं डिज़ाइन कर दूँगा"
"रचनाकारों के पेंसिल स्केच मैं बना दूँगा"
"नोहर में कविता कोश का कार्यक्रम है तो हम ज़रूर आएँगे, हमें इसके लिए कुछ नहीं चाहिए"
"मैं इस कार्यक्रम की अच्छी तस्वीरें लेने के लिए पूरा ध्यान रखूँगा और अपने लिए कोई मेहनताना नहीं लूँगा"
"मैं इस कार्यक्रम का संचालन करने के लिए उपस्थित हूँ"
"व्यवस्था का भार आप मुझे सौंप कर निश्चिंत हो जाएँ"
"पीने के लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था मेरी ओर से होगी, भाई साहब"
ये तो केवल कुछ झलकियाँ हैं... नोहर (राजस्थान) में 18 सितम्बर 2016 को हुए "कविता कोश सूत्र" कार्यक्रम में लोगों ने बढ़-चढ़कर स्वयंसेवा की... जैसा कि मैं अक्सर कहता हूँ कि कविता कोश समाज के लिए केवल एक साहित्यिक उपलब्धि ही नहीं है बल्कि स्वयंसेवा की भावना का एक उज्ज्वल उदाहरण भी है। नोहर के कार्यक्रम में पूरे राजस्थान से लोग आए और हमनें राजस्थानी साहित्य के बारे में बहुत महत्त्वपूर्ण बातचीत की।
यह सादा कार्यक्रम नोहर के पारीक भवन में आयोजित किया गया। बड़ेरचारे के नाते कार्यक्रम का आरम्भ नोहर के वयोवृद्ध साहित्यकार श्री दुर्गेश जी जोशी "सुगम" से कराया गया। उन्होनें माँ सरस्वती के सन्मुख दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का मान बढ़ाया।
कार्यक्रम में तीन सत्र थे: पहले सत्र में शारदा सुमन, आशीष पुरोहित और ललित कुमार श्रोताओं को कविता कोश, गद्य कोश और हम सबके मिले-जुले सामाजिक प्रयासों के बारे में बताया। दूसरे सत्र में राजस्थान के प्रसिद्ध रचनाकार श्री अश्विनी शर्मा के साथ संजय आचार्य वरुण ने ग़ज़ल विधा पर चर्चा की। तीसरा सत्र काव्य पाठ का था जिसका संचालन श्री राज बिजारणिया ने किया। इस सत्र में सर्वश्री रूपसिंह राजपुरी, इरशाद अजीज़, जगदीश नाथ भादू, पवन शर्मा भादरा, रामस्वरूप किसान, सत्यनारायण सोनी, कैलाश पंडा, अश्विनी शर्मा, संजय आचार्य वरुण और राज बिजारणिया जैसे विशिष्ट रचनाकारों ने अपनी राजस्थानी व हिन्दी रचनाओं से श्रोताओं का मन मोह लिया। कार्यक्रम के दौरान नोहर क्षेत्र के दिवंगत साहित्यकारों चंद्रसिंह बिरकाली जी, करणीदान बारहठ जी, लक्ष्मीकुमारी चुंडावत जी, रामकुमार ओझा जी, हनुमान दीक्षित जी और ओम पुरोहित कागद जी को विशेषरूप से याद किया गया।
सत्रों के बाद उपस्थित साहित्यकारों को स्मृति चिह्न भेंट किए गए। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए स्कूल/कॉलेज के बहुत से विद्यार्थियों ने भी खूब मन लगाकर स्वयंसेवा की थी। इन सभी युवाओं को भी मंच पर विशेषरूप से सम्मानित किया गया। नोहर के कहानीकार श्री भरत ओला ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी उपस्थित साहित्य-प्रेमियों और स्वयंसेवकों धन्यवाद दिया।
स्थानीय स्कूलों के बहुत-से शिक्षकों ने भी कविता कोश के इस कार्यक्रम में यथायोग्य योगदान दिया। कार्यक्रम के अंत में सभी मेहमानों व श्रोताओं को सादे पर बहुत स्वादिष्ट राजस्थानी भोजन के लिए आमंत्रित किया गया। करीब दो सौ साहित्य-प्रेमियों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और कविता कोश के स्वयंसेवी प्रयासों की भरपूर सराहना की। सभी ने कविता कोश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देने का आश्वासन दिया।
पूरे कार्यक्रम की व्यवस्था का भार नोहर के चित्रकार व शिक्षक श्री महेन्द्र प्रताप शर्मा और हिन्दी के वरिष्ठ शिक्षक श्री महेन्द्र मिश्र के कंधो पर था। आप दोनों ने कार्यक्रम की व्यवस्था और संचालन का बखूबी ध्यान रखा। व्यवस्था को संभालने वाले स्वयंसेवकों के इस समूह में सर्वश्री कमलेश शर्मा, हाकम अली, रमेश कुमार शर्मा, सुनील शर्मा और संदीप महिया भी शामिल थे।
19 सितम्बर को मैं और शारदा सुमन दिल्ली लौट आए। पूरे रास्ते हम नोहर निवासियों के स्नेह से भीगी स्मृतियों के बारे में ही चर्चा करते रहे। नोहर के लोगों ने हमें जो प्यार दिया वह किसी भी सम्मान से बड़ा है... किसी भी पुरस्कार से अधिक महत्त्वपूर्ण है। साहित्य के साथ-साथ स्वयंसेवा की भावना को बढ़ावा देना कविता कोश का एक ध्येय है।
हम सब मिलकर निस्वार्थ भाव से समाज के लिए जो बन सके वो करें। इसी से हमारा समाज सुन्दर बनेगा और साहित्य का उद्देश्य पूरा होगा।
--ललित कुमार की फ़ेसबुक पोस्ट