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कविता / अनंत भटनागर
Kavita Kosh से
कविता का ‘क’,
‘ख’, ‘ग’
खग बन गया है
‘वि’
विवश है
और ‘ता’
तालियाँ
तलाश रहा है।
कविता बन रही है।
कविता बिगड रही है।