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कवि की आवाज़ / शम्भु बादल
Kavita Kosh से
कवि की सघन आवाज़ की
उफ़नती परतें उठा कर देखो
तुम्हें बहुत कुछ मिलेंगे :
चाँद के रूप
मेघों के रंग
आग-हवा-पानी के पैर
मिट्टी-पत्थर-काँटों के हाथ
पौधों के गीत
कम्प्यूटर की महक
मोबाइल के दृश्य
अन्तरिक्ष के रहस्य
आत्मा के बोल
जीभ
जीभ घायल है
अपने ही दाँतों से