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कवि कोकिल - विद्यापति / कालीकान्त झा ‘बूच’

जनिका सँ देसिल वयना, पौलनि परान गय
कवि कोकिल नामे तनिका, जानय जहान गय

मिथिलांचल मे अभिनव आशा
पसरल घर- घर अप्पन भाषा
भाव करूण विचार श्रृंगारी
मनमे विरति नयनमे नारी
प्रगटौलनि आँचर तर सँ शंकर भगवान गय...

मोज सेज पर योगक छाया
वर अथाह व्यक्तित्वक माया
उदर भिवलि पर बनल त्रिवेणी
रूपवती लग तीर्थक श्रेणी
रीतिक कालरात्रि मे चमकल सृष्टिक दिनमान गय...

वैन वसंत नैन मे भादो
धार पवित्र कात मे कादो
जल मे रहितहुँ पुरनि पात सन
मरुस्थलि मे रसस्नान सन
गाबथि राधापर लेकिन, माधव पर ध्यान गय...
 
धन्य- धन्य विद्यापतिनगरम्
विस्फीसुत सत् शिवम् सुन्दरम्
जड़ियो कऽ अवशेष बनल छथि,
मरि कऽ अमर महेश बनल छथि
देहरि श्रृंगारक कांचन मंदिर मसान गय...