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कवि क्यों गीत लिखा करता है? / बलबीर सिंह 'रंग'

कवि क्यों गीत लिखा करता है?
कवि ने गीतों में क्या देखा,
दुःख की छाया, सुख की रेखा;
वरदानों की झोली ले,
वह क्यों अभिशाप लिया करता है?

याद उसे क्यों गा कर रोना,
ज्ञात उसे क्यों पा कर खोना;
मस्ती में अमृत ठुकरा कर,
क्यों विष जान पिया करता है?

जग कवि के गीतों में डूबा,
कवि जग आघातों से ऊबा;
ढाल लगा कर गीतों की वह,
जग आघात सहा करता है।

जब जग कवि में संशय पाता,
तब वह अंतस चीर दिखाता;
फिर वह गीत सूत्र से अपने,
उर के घाव सिया करता है।

गीतों में कुछ दुख चुक जाता,
वेग वेदना का रुक जाता;
वरना वह पीड़ा के तम से,
दिन की रात किया करता है।

माना मन के गीत न कवि के;
किन्तु निरर्थक गीत न कवि के;
गीतों को वह मीत बनाकर,
युग-युग तलक जिया करता है।
कवि क्यों गीत लिखा करता है?