हथेली 
जो महसूस हो रही है तुम्हें 
कन्धे पर अपने 
कभी भी बन सकती है मुट्ठी 
और कस सकती है 
तुम्हारे गले के चारों ओर 
.....
चौंको मत 
उँगलियों के दबाव से 
बदल जाती है दुनिया 
प्रेम के शब्द 
गढ़ लेते हैं परिभाषा 
हिंसा की ।
हथेली 
जो महसूस हो रही है तुम्हें 
कन्धे पर अपने 
कभी भी बन सकती है मुट्ठी 
और कस सकती है 
तुम्हारे गले के चारों ओर 
.....
चौंको मत 
उँगलियों के दबाव से 
बदल जाती है दुनिया 
प्रेम के शब्द 
गढ़ लेते हैं परिभाषा 
हिंसा की ।