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कसेड़ी / लीलाधर मंडलोई

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पीतल की कसेड़ी की
शान ही कुछ और थी

जो गिरवी पड़ी है अब साहूकार के पास
प्‍लास्टिक की गगरी में
पानी का वजन है

पानी का स्‍वाद अब
बंधक है साहूकार के घर

सिर्फ पानी है जिससे बुझती नहीं प्‍यास