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कहवाँ के मधुमल, कहवाँ भिरिंगे, रामा / भोजपुरी
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कहवाँ के मधुमल, कहवाँ भिरिंगे, रामा; कहवाँ के सिरी मोरंग अगिनी दगथे,
केता दुख सहों दइया, बिरहा बिजोगे।।१।।
उतरे के मधुमल, दखिने भिरिंगे, पुरबे के सिरी मोरंग अगिनी दगधे,
कि आहो साँवर, केता दुख सहों दइया, विरहा बिजोगे।।२।।
हाँ रे, कहवाँ के सिलपट, कहवाँ के लोढे़ केथिए ही रगड़ी-रगड़ी भेर कटोरे,
हाँ रे, परबत के सिलपट, पटना से लोढ़े, चनन रगडि़-रगडि़ लवलों आठो अँगे,
आहो साँवर, केत दुख सहों दइया, बिरहा बिजोगे।।रहा बिजोगे।।३।।
हाँ रे, अनलों चीकट माटी, खिपतों मन्दीरे, धोका तोरे ढुरुहुर तरुनी बइसे,
आहो साँवर, केता दुख सहों दइया, बिरहा बिजोगे।।४।।