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कहाँमाँहि उपजल माइ गे इलाची पुड़िया / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कहाँमाँहि<ref>कहाँ</ref> उपजल<ref>उपजा; पैदा हुआ</ref> माइ गे इलाची<ref>इलाइची</ref> पुड़िया।
कहाँमाँहि उपजल माइ गे लौंग पुड़िया।
कहाँमाँहि उपजल माइ गे जैफर<ref>जायफल, एक सुगंधित फल, जो मसाले और दवा के रूप में व्यवहृत होता है</ref> पुड़िया।
कहाँमाँहि उपजल माइ गे कवन बाबू॥1॥
माइ हे, छातियाँ<ref>छाती पर; वक्षस्थल पर</ref> चननवाँ<ref>चंदन</ref> सोभे।
हाथहिं ओरमलबा<ref>रूमाल</ref> सोभे, सोना गेरु<ref>साड़ी के आँचल में लगाया जाने वाला एक आभूषण</ref> भुइयाँ<ref>जमीन पर</ref> लोटे हे॥2॥
बारियाँ<ref>बारी में; घर के पास ही वाटिका, जिसमें फल-फूल तथा साग-सब्जी की खेती होती है।</ref> उपजलअ<ref>उपजा</ref> माइ गे इलाची पुरिया।
बारियाँ उपजि गेलअ<ref>उपज गया; बड़ा-बड़ा हो गया</ref> लौंग पुरिया।
बारियाँ उपजि गेलअ जैफर पुरिया।
माइ गे, कवन मैया कोखी उपजि गेलअ कवन बाबू॥4॥
कहाँ लाये राखबऽ माइ गे इलाची पुरिया।
कहाँ लाये राखबऽ जैफर पुरिया।
कहाँ लाये राखबऽ कवन बाबू॥5॥
मँड़ेबाँहि<ref>मंडप पर</ref> राखबऽ माइ गे लौंग पुरिया।
मँड़ेबाँहि राखबऽ माइ गे इलाची पुरिया।
मँड़ेबाँहि राखबऽ माइ गे जैफर पुरिया।
कोहबर राखबऽ माइ गे कवन दुलहा॥6॥
किए लाइ<ref>क्या लाकर</ref> जमैबऽ<ref>खिलाऊँगी</ref> माइ गे लौंग पुरिया।
किए लाइ जमैबऽ माइ गे इलाची पुरिया।
किए लाइ जमैबऽ माइ गे जैफर पुरिया।
किए लाइ जमैबऽ माइ गे कवन दुलहा॥7॥
पूरी<ref>पूड़ी</ref> लाइ जमैबऽ माइ गे इलाइची पुरिया।
पूरी लाइ जमैबऽ माइ के लौंग पुरिया।
पूरी लाइ जमैबऽ माइ के जैफर पुरिया।
कवन बेटी लाइ बोधबऽ<ref>मनाऊँगी</ref> माइ गे कवन दुलहा॥8॥

शब्दार्थ
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