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कहाँ रही अब भैया, अलगू-जुम्मन वाली पंचायत / विनोद तिवारी

कहाँ रही अब भैया, अलगू-जुम्मन वाली पंचायत
जो परमेश्वर के स्वरूप उन पंचों वाली पंचायत

पंचायत ने प्रेमी जोड़े को फाँसी पर चढ़ा दिया
हमें न्याय के नाम लगी इक भद्दी गाली पंचायत

जिसकी लाठी भैंस उसी की गाँव -गाँव का खुल्ला सच
बाहुबली कहता जो चाहे कर ले साली पंचायत

अब तो जोड़-जुगाड़ चुनावी दन्द-फन्द सब कुछ जायज़
पंचायत तो है पर आदर्शों से ख़ाली पंचायत

सच्चाई का गला झूठ के हाथ दबा देते जब तब
स्वर्ण अक्षरों में लिक्खी है काली-काली पंचायत