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कहिए, हम क्या-क्या लिखें? / बलबीर सिंह 'रंग'

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कहिए, हम क्या-क्या लिखें?
शब्दों के जाल बुनें,
कागज के फूल चुनें;
रचना से अधिक ध्यान शीर्षक का रखें?
कहिए...

अनुवादित कथ्य कहें,
तथ्यों से दूर रहें;
कड़वे को थूकें और मधुर-मधुर चखें?
कहिए...

गत का रथ लौट गया,
सब कुछ है नया-नया;
शीश महल में कब तक एकाकी दिखें?
कहिए...