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कहे है तौबा पे ज़ाहिद कि तुझको दीं तो नहीं / सौदा

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कहे है तौबा पे ज़ाहिद कि तुझको दीं<ref> दीन </ref>तो नहीं
भिड़ा दे ख़ुम ही मेरे मुँह से चल नहीं तो नहीं

दिला<ref>ऐ दिल </ref>, मैं पीते ही पीते पियूँगा इश्क़ की मै
ये जामे-ज़हर<ref>ज़हर का जाम </ref> है प्यारे, कुछ अंगबीं<ref> मीठा पेय, शहद </ref> तो नहीं

ये ख़ू<ref>आदत</ref> है, दोस्ती-ए-ग़ैर, दुश्मनी मेरी
किसी से कुछ उसे मंज़ूर मेहरो-कीं<ref>मेहरबानी और कीना </ref> तो नहीं!

जो कोई दे तुझे दामन पसारकर दुश्नाम<ref>गाली</ref>
तिरे भी हाथ है कुछ, सिर्फ़ आस्तीं तो नहीं

दिला, ख़मोशी की मेरी तू देखियो तासीर
मयस्सर<ref>उपलब्ध</ref> उसको तिरा नाल-ए-हज़ीं<ref>दुख भरा क्रंदन </ref> तो नहीं

निगारख़ान-ए-गरदूँ<ref>आकाश रूपी रंगमहल </ref> की सैर की 'सौदा'
वलंगो-आज़<ref>दो शहर( के नाम) </ref> है घर अपने, दिलनशीं तो नहीं

शब्दार्थ
<references/>