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कह दूँ तुम्हें या चुप रहूँ / साहिर लुधियानवी
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कह दूँ तुम्हें
या चुप रहूँ
दिल में मेरे आज क्या है
कह दूँ तुम्हें या चुप रहूँ
दिल में मेरे आज क्या है
जो बोलो तो जानूँ गुरू तुमको मानूँ
चलो ये भी वादा है
कह दूँ तुम्हें...
सोचा है तुमने कि चलते ही जाएँ
तारों से आगे कोई दुनिया बसाएँ
तो तुम बताओ
सोचा ये है कि तुम्हें रस्ता भुलाएँ
सूनी जगह पे कहीं छेड़ें सताएँ
हाय रे ना ना
ये ना करना
अरे नहीं रे नहीं रे नहीं रे नहीं रे नहीं नहीं
कह दूँ तुम्हें...
सोचा है तुमने कि कुछ गुनगुनाएँ
मस्ती में झूमें ज़रा धूमें मचाएँ
तो तुम बताओ ना
सोचा ये है कि तुम्हें नज़दीक लाएँ
फूलों से होंठों की लाली चुराएँ
हाय रे ना ना
ये ना करना
अरे नहीं रे नहीं रे नहीं रे नहीं रे नहीं नहीं
कह दूँ तुम्हें...