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क़ौल ये था कि हमसफ़र होगा / रवि सिन्हा

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क़ौल<ref> वादा (promise)</ref> ये था कि हमसफ़र होगा
अब ये सुनते हैं अर्श<ref>आसमान (sky)</ref> पर होगा

हर ख़बर से वो बे-ख़बर होगा
देखता सब है बे-बसर<ref>अन्धा (blind)</ref> होगा

हर्फ़े-कुन<ref>आदि-स्वर जिससे सृष्टि का आरम्भ हुआ था (the word that started the universe)</ref> क्या कहे सुने कोई
ख़ाक पर ख़ाक अब असर होगा

ये फ़साना कि वो करे सब कुछ
सब्र रखिये तो कारगर होगा

रोग उसको ख़ुदी का लगता है
क्या किसी का वो चारागर<ref>चिकित्सक (healer)</ref> होगा

शोर बरपा है जो हक़ीक़त में
अब तख़य्युल<ref>कल्पना (imagination)</ref> में अपना घर होगा

हम ने दुनिया बिगाड़ रक्खी है
तिफ़्ल<ref>बच्चा (child)</ref> अब हम से दूर-तर होगा

बीज डाले हैं सींचते भी हैं
नख़्ल<ref>पौधा</ref> कोई तो बारवर<ref>फलदार (that bears fruits)</ref> होगा

चन्द जुगनू भी बहुत होते हैं
ज़ोर-ए-तारीक<ref>अन्धेरे का आतंक (tyranny of darkness)</ref> मुख़्तसर होगा

शब्दार्थ
<references/>