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काँट के साथ बा गुलाब, ए दोस्त / मनोज भावुक

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काँट के साथ बा गुलाब, ए दोस्त
जिन्दगी के इहे हिसाब, ए दोस्त

आज तक पढ़ सकल कहाँ केहू
जिन्दगी के कठिन किताब, ए दोस्त

हम त गुमराह होके रह गइलीं
रह गइल अब त ख्वाब ख्वाब, ए दोस्त

जिन्दगी के भइल रहे बीमा
होत बा लाश के हिसाब, ए दोस्त

प्यार के बीज कइसे अँकुरेला
के दी एह प्रश्न के जवाब, ए दोस्त

प्यार खातिर त सच्चा दिल चाहीं
अब उतारऽ तू ई नकाब, ए दोस्त