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काइज़र की गाथा / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य

फ़िलहाल नहीं है कोई शिकायत
कमाई हो जाती है हर रोज़

अब तक
जो ढोता रहा
हमारा बोझ
संभालता रहेगा
अब भी वो हमारी हालत ।
 
अब तक हमने
 यही है सीखा
बिना यह पूछे क्यों और कैसा

लेकिन ऐसा किसने लिखा
वही दिखेगा,
जो अब तक दिखा ?
शायद, शायद
वो दिन आए जब रहे न ऐसा ?

मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य