Last modified on 19 दिसम्बर 2019, at 21:03

कागज नहीं होते तो विवादे नहीं होते / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

कागज नहीं होते तो विवादे नहीं होते।
कागज बिना कोई भी फसादे नहीं होते।।

कागज से कागज को खरीदे भी जाते हैं।
कागज पे इतने सारे कसीदे नहीं होते।।

हर रंग में बिकता है कागज का पुलिंदा।
अब इस तरह के कोई परिंदे नहीं होते।।

खून-खराबा का बस जरिया है ये कागज।
ऐसा कहीं भी कोई दरिंदे नहीं होते।।

चर्चित कहावत जोरू, जमीं, जोर के होते।
ऐसा कहीं भी कोई मसौदे नहीं होते।।