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काग़ज़ की नाव / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
कागज की नाव
रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिंदी |
विषय | |
विधा | गीत |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अहं का मोह न छोडूँ, स्वामी ! / गुलाब खंडेलवाल
- आयु क्या निष्फल ही बीती है ! / गुलाब खंडेलवाल
- सागर में ले के चला / गुलाब खंडेलवाल
- कोई आये या मत आये / गुलाब खंडेलवाल
- कोई झरना इस मरुथल में फूटेगा / गुलाब खंडेलवाल
- कोई मत पढ़े, मत सुने / गुलाब खंडेलवाल
- क्या परिचय दूँ अपना ! / गुलाब खंडेलवाल
- क्यों वह मेरे निकट न आया ! / गुलाब खंडेलवाल
- क्षीण हो रही काव्य की धारा / गुलाब खंडेलवाल
- चुरा चित् अब कैसे वह भागे ! / गुलाब खंडेलवाल
- छूटते जाते पथ पर संगी / गुलाब खंडेलवाल
- तुझे यह कैसी चिंता खाए ! / गुलाब खंडेलवाल
- तू क्यों यश के पीछे भागे ! / गुलाब खंडेलवाल
- दुखों के आतप से तप-तपकर / गुलाब खंडेलवाल
- न छूटे यह श्रद्धा की डोर / गुलाब खंडेलवाल
- न छोडूँ, पकड़ लिए जो चरण / गुलाब खंडेलवाल
- नाथ ! अच्छी चाकरी बतायी ! / गुलाब खंडेलवाल
- नाव कागज़ की भी है मेरी / गुलाब खंडेलवाल
- प्रतीक्षा कब तक और करे ! / गुलाब खंडेलवाल
- प्रेम जो अंतर में छाया है / गुलाब खंडेलवाल
- मुझे तो लड़ते ही जाना है / गुलाब खंडेलवाल
- मेरी तो बस यही कमाई / गुलाब खंडेलवाल
- मैंने जब-जब ठोकर खायी / गुलाब खंडेलवाल
- मैंने मन की हर जिद मानी / गुलाब खंडेलवाल
- रची, प्रभु ! यह कैसी फुलवारी / गुलाब खंडेलवाल
- व्यर्थ भी हो सब लिखा-लिखाया / गुलाब खंडेलवाल
- शब्दों से ही सब कुछ पाया / गुलाब खंडेलवाल
- सँभाला तेरी ही करुणा ने / गुलाब खंडेलवाल