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कादम्बरी देवी, आपको / सुबोध सरकार / मुन्नी गुप्ता / अनिल पुष्कर

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उस दिन दोपहर में रवि आया था सीढ़ी से उठा तीन तल्ले
ठाकुरबाड़ी में उस समय नहीं था कोई
चैत महीने की लम्बी दुपहरी में क्या कहा था आपसे ?
गहरी रात उस जोड़ासाकू में क्या बात हुई थी आपसे ?
भोर से पहले ही कमरा छोड़ उठ जाती, पति की दो बाँहें उधर सरका
बाहर आकर खड़ी रहतीं
मौत ने आकर क्या आपके बालों में हाथ रखा था ?
मौत ने कहा था तुम्हें मेरी जरूरत है ?

सुबह सात बजे – पति के साथ आमने-सामने बैठ
टिकोजी, टी-पॉट, खूब अच्छे कप में दार्जलिंग
क्यूँ ऐसा लगता चाय नहीं, चाय नहीं, चाय नहीं
थोड़ा-थोड़ा जहर पीती जा रही हैं ?

भरा-पूरा संसार, प्रतिष्ठित एक ठाकुरबाड़ी की बीबी
किसी चीज का अभाव नहीं ? अथाह पैसा, कितनी सारी दास-दासियाँ
कितने लोग, उसी के भीतर बिहाग बजता चलता
फागुन आकर उनके बालों संग लोट-पोट करता
प्रहरी आकर खोल देता सारे खिड़की दरवाज़े
आत्महनन एक दुपहरी की चूक से ?
इससे पहले कोई भी बँगाली जहाज़ नहीं ख़रीद पाया
कहिए आप, खुश नहीं हैं आज,
आज शाम को पति के जहाज़ पर पार्टी है
सभी जा रहे हैं जहाज़ सजाने, ठाकुरबाड़ी के सभी जा रहे रहे हैं

जहाज़ देखने, एक दिन वह जहाज़ तैरेगा
रँगून जाएगा, सिंहल जाएगा, जाएगा कितनी दूर-दूर बन्दरगाहों पर
बँगाली घर का वही तो पहला विश्वायन ।

उस दिन क्या हुआ आपको ?
सात बजा, शाम सात बजे, बढ़िया एक साड़ी पहनी
बिन्दी लगाई, देह में ख़ुशबूदार इत्र
ख़ुश्बू नहीं, सारा घर उस ख़ुशबु से मह-मह कर उठा
फिर भी आपकी आँखों में पानी क्यूँ ?
पति गए हैं जहाज़ पर रहने
सात बजने पर रवि आकर ठीक खड़ा होगा दरवाज़े पर
किसकी छाया दिखाई दे रही है वहाँ ? रवि ?
रवि मतलब किस रवि की छाया को देख रही हैं ?
कौन रवि ? कौन टूटा हुआ रवि ? कविता का रवि ?
जिसे एक दिन ख्याति आकर बुला ले जाएगी दूर भुवनडाँगा
कौन रवि ? वह क्या हो सकता है किसी का अपना देवर

अपना कोई प्यारा सगा ?

कवि जन कभी भी हो सकते हैं किसी के प्रेमी ?
वे लोग प्यार करते हैं और गीत गाते हैं
उनकी प्रेमिकाएँ आती-जाती हैं, सिर्फ आती-जाती हैं.
सात बजा, बिन्दी पोंछकर उठ खड़ी हुईं
सात बजा, साड़ी खोल फेंक उठ खड़ी हुई
सात बजा – खिड़की बन्द
सात बजा - दरवाज़ा बन्द
एकदम ख़ाली बाड़ी, कहीं कोई नहीं, बिलकुल सुनसान
बाल खोले, कँगन खोले, उतार फेंके गहने
पृथ्वी की माया-सा आलोक आ छिटका

नग्न कमर पे
अपूर्व गोल दो स्तन जैसे स्वर्ग पृथ्वी
एक हरा, एक सुनहले रँग का
इस बार आपने एक झटके में खोल डाली छिपा रखी कटोरी
विष का आधार ।

खड़े रहिए यहाँ, थोड़ा खड़े रहिए, मेरा एक ही प्रश्न है ! क्या दोष किया है रवि ने ?
क्या दोष किया है प्रिय ज्योति दादा ने, प्यार किया है, प्यार किया है, प्यार किया है उन्हें
मौत कर सकती है क्या, उस सुन्दर दोष को पोंछ दे ?
दोतल्ले के घर में, तीन तल्ले के घर में सिर्फ़ हा-हाकार सुनती हूँ
प्रेम कर कोई बचा रहता है
प्रेम कर कोई मर जाना चाहता है उस क्षण ।

ठाकुरबाड़ी में सीढ़ी पर, बागान में
इसके बाद सुने जाएँगे जितने गीत
सारे गीत होंगे आपको लेकर, आपको लेकर
आप मेरी
आप सबकी, इस पृथ्वी की अभिमानी भाभी ।

मूल बाँग्ला से अनुवाद : मुन्नी गुप्ता और अनिल पुष्कर