84.
मेघनाद सेनापति लगले सब साधन जुटबओलनि
घोड़ा हाथी खच्चड़ ऊँट जते जे छल अनबओलकनि।
ज जा चढ़य सबारी सच रहबाक बात नहि मानय
सम्बल की सब संगमे अछि क्यो ततबो टा नहि जानय।
85.
जकरा वाहन नहि भेटल से पैदल पथ चलि देलक
गृह रक्षक गण कहय चाकरी प्राण हमर हरि लेलक।
रक्षक छोड़ि सबहिं उज्जैनक भूपालक संग धयले
राम गेला वैकुण्ठ जेना साकेतो खाली भेले॥
86.
निशि दिन जेना तेना सब चलिते खायब पीअब देखय
विन्ध्यहिसँ अच्छोद सरोवरके पयरहिं तर लेखय।
जाइत जाइत भूप पहुँचला अच्छोदक तट वनमे
से बुझि खेमा ततहि खसओलनि भेल सशंकित मनमे॥
87.
कहलनि मेघनादके भूपति पहिने पता लगाबह
समाचार सब अपने आँखि निरीक्षण कय तो आबह
जँ सब बात सत्य अछि तँ एहि ठाँसँ आगू जायब
नहि तँ चिता रचाय एही ठाँ पाबक मध्य समायब॥
88.
मेघनाद त्वरितकके संग लय जाय ओतय अवधानल
सकल अंग विकसित प्रसन्न मुख सूतल छथि ई जानल
आयल हर्षे नोर बहबिते भूपक पयर पकड़लक
स्वामी, जते सुनल से सब टा सत्ये अछि ई कहलक॥