कादम्बरी / पृष्ठ 17 / दामोदर झा
4.
हे मुनिजन, सुनु सावधान भय एकरो विवरण
तपी विप्र छल पक्षी बनि जनमल जहि कारण।
देश अवन्तीमे संसारक लक्ष्मीगृह सम
उज्जयिनी नगरी अछि त्रिभुवनमे सुन्दरतम॥
5.
अलका अमरावती जनिक प्रियतम नगरी अछि
तनिको मानस एकरा लखि चिन्ता डगरी अछि।
कहू अधिक की? कैलासहुँक शिखर नहि विलसथि
महाकाल धरि नाम जतय गिरिजापति निवसथि॥
6.
ततय भगीरथ मान्धाता नृग पृथु राजा सन
तारापीड़ नृपति जनताके पालथि अनुखन।
आपसमे अनमेल भाव धरती पर पसरल
रहय सकल गुण जनिका वपु विरोधकें बिसरल॥
7.
अपना बुद्धि-विभवसँ भृगुसुत गुरुकें हसिते
मन्त्री छथि शुकनास विप्र सब गुणसँ लसिते।
ओ राजा यौवनारम्भमे धरती जीतल
पालन वृति सचिव धय जा विलासगृह सूतल॥
8.
ओ मन्त्री जनताके पालथि सबहिं प्रकारे
रहथि सतत सन्नद्ध तीन दुखहुँक रखबारे।
जेना जेना सब लोक नृपतिके पितृसम देखथि
तहिना क्रमसँ भूप धन्य अपनाकें लेखथि॥