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कादम्बरी / पृष्ठ 62 / दामोदर झा

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5.
जलसँ पोछि आँखि मुख बाला थिर भय बैसलि आबि
चन्द्रापीड़ स्वस्थ बुझि हिनका पूछल अवसर पाबि।
भगवति, कहलहुँ अहाँ तरलिका निबसय हमरे पास
नहि अछि कारण कोन एतय ओ की? भय गेल निराश॥

6.
लगली कहय महाश्वेता हमरा तजि नहि ओ जाय
कारण सुनू पठओलहुँ ओकरा जे किछु करय उपाय।
चित्ररथक परिचय हम कहलहुँ जे गन्धर्व अधीश
जनिका करसँ मन्दिर मे छथि थापित एतय गिरीश॥

7.
जे ई सर अच्छोद नाम केर अपना बल खुनबओलनि
नाम चैत्ररथ परम मनोरम कानन ई लगबओलनि।
हुनकर अमृत समुद्भव अप्सर वंशक मृदु लोचन सन
महिषी मदिरा नाम सकल गुन आगर प्रिय जीवन सन॥

8.
कादम्बरी नाम केर हुनकर कन्या नवयुवती छथि
जनिक रूप लावण्य विलासे लज्जित रमा रती छथि।
तेना प्रेम शैशबसँ हमरा हुनका बीच बढ़ल अछि
लोक जनै अछि जेना दुहुक तनु जीवन एक मढ़ल अछि॥

9.
हमरे जरल कपारक विवरण जैखन ओ सब सुनलक
कयलक कठिन प्रतिज्ञा तहिखन मनमे नहि किछ गुनलक।
यावत अपन विपत्ति महाश्वेता नहि पार लगओते
तावत हम विवाह नहि करबै कतबो क्यो किछ कहते॥