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काना-बाती (कविता) / सुरेश विमल

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काना बाती कुर्र जी
उड़ी चिरैया फ़ुर्र जी

पकड़ी पूँछ पतन्नू ने
बोला टॉमी गुर्र जी

चुन्नू-मुन्नू रहे ताकते
मोटर भागी घुर्र जी

अटकन्नू ने मारा छक्का
खिड़की टूटी चुर्र जी

लाया डब्बू बम-पटाखा
बोल गया वह सुर्र जी

ठुम्मक-ठुम नाचा मस्ती में
गधा उठाकर खुर्र जी।