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कामणी / मोहम्मद सद्दीक

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पग में पैंजणियां-छणकाती
झीणै घूंघटियैै-मुळकाती
पळका बीजळ सा-बरसाती
गजबण हिवड़ै नै हरखाती
आवै कामणी कामणी।।

सुरमो नैणां में रमाती
चुड़लो चांदी सी चमकाती
लालां पळकै सामी छाती
हिवड़ै दूणी जोत जगाती
आवै कामणी कामणी।।

मोती नथली री बतळातां
सूवो बैठयो कंवळै पातां
झूमर झीणां झबका मारै
मुळकै दाड़म बीज पसारै
आवै कामणी कामणी।।

नैणा इमरतियो बरसाती
सांसां सौरभियो बिखराती
माथै चन्दो सो चमकाती
बैणी सरपण री बळखाती
आवै कामणी कामणी
माथै चूंदड़ली सतरंगी
मीठी आमलियां बस अंगो
लागै जगती सा बदरंगी
चून्दड़ माथै रंग बिरंगी
आवै कामणी कामणी।।

लालां-गालां गीत पसारै
किणनै छोडै किणनै मारै
नथली बिंदली बात बिचारै
जुलमी जोबन किणनै धारै
आवै कामणी कामणी।।

धीमा धीमा पगल्या धरती
नैणा बैणा सेना करती
कूं कूं पगल्यां सूं बिखराती
करती चालै धरती राती
आवै कामणी कामणी।।

सीळी-सीळी पुरवा चालै
मत ना छेड़ो पल-पल पालै
रूस्या साथीड़ा मनालै
घूमल चालै चंग बजालै।
आवै कामणी-कामणी।।

अट्ठै गौरां घूमर घालै, ईसर आगै लारै चालै।
आंनै कुण बरजै कुण पालै तिरछै नैणा नूतो घालै।
आवै कामणी कामणी