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कामधेनु / रतन सिंह ढिल्लों
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आओ !
इंद्र के दरबार से
कामधेनु खोल लाएँ
और उसे बाँध दें
गाँव की चौपाल में
या शहर के स्लम-क्षेत्र में
या
शहर के लेबर कॉलोनी में ।
आओ !
कामधेनु गाय को
सुनहरे खूँटे से खोल कर
आज़ाद कर दें ।
मूल पंजाबी से अनुवाद : अर्जुन निराला