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कामना-सूर्य / महेन्द्र भटनागर

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(1)
हर व्यक्ति सूरज हो
ऊर्जा-भरा,
तप-सा खरा,

हर व्यक्ति सूरज-सा धधकता
आग हो,
बेलौस हो, बेलाग हो !

(2)
हर व्यक्ति सूरज-सा
प्रखर,
पाबन्द हो,
रोशनी का छन्द हो !

जाए जहाँ —
कण-कण उजागर हो,
असमंजस अँधेरा
कक्ष-बाहर हो !

(3)
हर व्यक्ति सूरज-सा
दमकता दिखे,
ऊष्मा भरा
किरणें धरे,

हर व्यक्ति सूरज-सा
चमकता दिखे !