विपुल अनुकूल कूल जिसका
है मनोरम मुखरित प्यारा;
जहाँ बहती है सरसा बन
कल्पना-कालिंदी- धारा।
कामना-कुंजें हैं जिसमें
अधिकतर जो है अनुरंजन;
बसो आकर उसमें मोहन,
हमारा मन है वृंदावन।
विपुल अनुकूल कूल जिसका
है मनोरम मुखरित प्यारा;
जहाँ बहती है सरसा बन
कल्पना-कालिंदी- धारा।
कामना-कुंजें हैं जिसमें
अधिकतर जो है अनुरंजन;
बसो आकर उसमें मोहन,
हमारा मन है वृंदावन।