आज की कामवाली
ज्यादा आधुनिक है
इलाके-इलाके का फर्क है
सिनेमा - पी वी आर का
भेद समझती है
लेटेस्ट मोबाइल रखती है
‘साब’ लोगों को खूब -
बनाती है
मेमसाब की नजरों से
जब चाहो
‘साब’ को चुरा लेती है
और
इन धनाढ्य साहबों को अपना चुराना
इन दिनों खूब भा रहा है