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काम बहुत हैं करने को बस यही काम न करो / शमशाद इलाही अंसारी
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काम बहुत हैं करने को बस यही काम न करो,
कौम के नाम पर दुनिया में कत्लेआम न करो।
बस एक ही जुम्ले ने हैवान बनाया इन्सान को,
अब और आने वाली नस्लों को बर्बाद न करो।
चन्द सियासी जहनों का है ये परचम तर्ज़ो अमल,
इसकी परस्तिश में अमन को नाशाद न करो।
फ़ासले सरहद के हों, परचम के या कौम के,
रहजन की चाल को अब और का़मयाब न करो।
बस मौहब्बत के सिवा नहीं कोई दूसरा रास्ता,
"शम्स" कब से कह रहा हूँ वक्त यूँ बर्बाद न करो।
रचनाकाल : 28.01.2003