भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काम वाली / अशोक तिवारी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

काम वाली

क्या है नाम उसका
काम करती है जो तुम्हारे घर में आकर
रोज सुबह से लेकर शाम तक
छोटे से लेकर बड़े काम
मोटे से लेकर पतले काम
झाड़ू बुहारी से लेकर
बर्तन और पोंछे का काम
क्या है उसका नाम
- काम वाली
उसका असली नाम
- काम वाली
प्रचलित नाम
- काम वाली
काम वाली, काम वाली
ही पुकारी जाती है काम वाली
उसके नाम की ज़रूरत
किसी को नहीं
काम की ज़रूरत सबको है
और इसीलिए पुकारी जाती है वो - काम वाली
ऐसी काम वाली
जो अपने घर के काम को
छोड़कर आती बिना किए पूरा - अधूरा
अपने घर के अधूरेपन को
पूरा करती है काम वाली
आपके घरो में आकर
आपके घर में आकर सांस लेती है
आपके सपने के साथ
उसे सजाती है
सॅवारती है
क़रीने से रखती है
हर बेजान वस्तु को,
जुटी रहती है वो
करने के लिए
तुम्हारा हर काम
तुम्हारी इच्छा के मुताबिक
अपने बच्चों की भूख
को मिटती देखती है जो
आपकी रसोई में काम करते हुए
 
सूरज को उगता - डूबता हुआ देखती है
वो भागते हुए
कभी घर से, कभी घर को
यांत्रिक गति के साथ चलते है
उसके शरीर के हर अवयब
खट खटा खट खट चलती है
उसके जीवन लय
काम के लिए
काम के साथ.......
काम करते हुए भी वो सोचती है
काम के बारे में
खानों मे बॅटी हुई उसकी ज़िंदगी में
भरे पड़े हैं ढेरों काम
काम में बीबीजी हैं
काम में बाबूजी हैं
काम में माताजी हैं
काम में पति है, बच्चे हैं
मां है, बाप है, भाई है
रिश्तों की पूरी फ़ेहरिश्त है
 
काम है जो चिपका हुआ है
उसके माथे पर मोटा मोटा
यही है जिसे वो सोच रही होती है
आपके घर आने और घर से जाते वक़्त
 
आप हैरान न हों
बहुत संभव है आप
उसे उसके असली नाम से पुकारें जब भी
वो न दे कोई रेस्पोंस
क्योंकि काम के लिए समर्पित वो औरत
न चाहते हुए भी बन जाती है वही
जो नहीं चाहती वो बनना
सिर्फ़ काम वाली।
................
01/05/2009