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कारीगरों का अभ्यास / कुमार कृष्ण

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राजा के लिए कुर्सी-सिंहासन बनाकर
पछताता है कारीगर
वह नहीं जानता था-
सिंहासन पर बैठ कर राजा
कटवा देगा उसके कुर्सी बनाने वाले हाथ
नहीं बन सके कोई दूसरा सिंहासन
वह नहीं जानता था-
एक राजा नहीं देख सकता
अपनी रियासत में कोई दूसरा राजा

कटे हुए हाथों से भी
सिखा रहे हैं कारीगर-
घने जंगल में कुर्सियाँ बनाने की कला
सिखा रहे हैं औज़ार चलाना-
चाँद की रौशनी में
चला रहे पैरों से धौंकनी
कर रहे हैं गर्म लोहा
बना रहे हैं औज़ार
बन रही हैं लगातार कुर्सियाँ ही कुर्सियाँ
सिंहासन ही सिंहासन
चल रहा है अभ्यास-
सिंहासन हिलाने का बार-बार।