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कालीबंगा: कुछ चित्र-5 / ओम पुरोहित ‘कागद’

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कहाँ राजा कहाँ प्रजा
कहाँ सत्तू-फत्तू
कहाँ अल्लादीन दबा
घर से निकलकर

नहीं बताता
थेहड कालीबंगा का

हड्डियाँ भी मौन हैं
नहीं बताती
अपना दीन-धर्म।


राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा