भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
काले बादल / राहुल शिवाय
Kavita Kosh से
नभ में आये काले बादल
बर्षा लाये काले बादल
दिखने में काले हैं फिर भी
सबको भाये काले बादल।
सबने अब है राहत पाई
दादुर ने भी टेर लगाई
खुशी मनाते सभी धरा पर
बड़े दिनों पर बारिश आई।
अब किसान के वारे-न्यारे
कबसे वह आकाश निहारे
नभ में छाये काले बादल
लगते हैं सबको ही प्यारे।
नाव चल रही कागज वाली
बच्चे बजा रहे हैं ताली
काले बादल लेकर आये
सभी ओर देखो खुशहाली।