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काळी-कळायण / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
काळा गाभा
पैर‘र
काळा केस
बिखेर‘र
आ कुण
पसरी पड़ी है
ऊंधै मूंढै
कोप भवन में
केकैयी