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कासनी का फूल / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
बम-धमाकों के बीच
जब सब भाग रहे थे
श्रीनगर से अपने घर
छूट गया सब कुछ
बस चला आया मेरी स्मृति में
'कासनी का फूल'