भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
का भऔ बात बतातई नईंयाँ / महेश कटारे सुगम
Kavita Kosh से
का भऔ बात बतातई नईंयाँ
कोउ हमें समझातई नईंयाँ
कैसी आग लगी दुनियाँ में
बढ़ रई और, निजातई नईंयाँ
बातें बड़ी-बड़ी हो रईं तीं
का भऔ कितऊँ दिखातई नईंयाँ
रोज उपद्रे वारी बातें
का सुख-चैन सुहातई नईंयाँ
मारकाट हड़तालें दंगा
इनसें कभऊँ अघातई नईंयाँ
का कानून-कायदा कैसौ
इनखौं सुगम दिखातई नईंयाँ