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किंतु नहीं मैं / राजकुमार कुंभज

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लौ है कि बुझती नहीं
भूल है कि भूलती नहीं ज़रा-सी
प्रेम नहीं मानता कोई भी फ़रमान

तुमको जाना है जाओ स्वर्ग
अथवा स्वर्ग की तलाश में कहीं भी

किंतु नहीं मैं और कहीं

रचनाकाल : 2012