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कितना अजीब / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल

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हजारों के बीच
अपने-आप को तलाशते जाना
कितना अजीब है

अजीब है कितना
पा लेने पर खुद को
सोचना कि
जिसकी तलाश थी वह
मैं नहीं
तुम थे
तुम।