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कितना धीमे चल रहे हैं घोड़े / ओसिप मंदेलश्ताम

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कितना धीमे
चल रहे हैं घोड़े
लालटेन की रोशनी कितनी कम है
शायद ये अजनबी
जानते हैं ये बात
कहाँ ले जा रहे हैं मुझे वे इस रात

मेरी चिन्ता
अब उनको ही करनी है
मुझे तो नींद आ रही है
मैं सोना चाहता हूँ
शायद पहुँच गया हूँ उस मोड़ पर
जहाँ बन जाऊँगा मैं किसी तारे की रोशनी

सिर मेरा गर्म है
चक्कर आ रहे हैं
कोई अजनबी कोमल ठण्डा हाथ
मुझे छू रहा है
दिखाई दे रहे हैं मुझे
फ़र-वृक्षों के काले आकार
जिन्हें पहले नहीं देखा कभी मैंने
ऐसे कुछ धुंधले उभार

(रचनाकाल : 1911)

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
             Осип Мандельштам
               Как кони медленно ступают…

Как кони медленно ступают,
Как мало в фонарях огня!
Чужие люди, верно, знают,
Куда везут они меня.

А я вверяюсь их заботе.
Мне холодно, я спать хочу;
Подбросило на повороте,
Навстречу звездному лучу.

Горячей головы качанье
И нежный лед руки чужой,
И темных елей очертанья,
Еще невиданные мной.

1911 г.