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कितने रँगों में / नंदकिशोर आचार्य
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हरे से
और गहरा हरा
पीला कभी ताम्रवर्णी
धीरे-धीरे
मटिया हो जाने तक
जाने कितने रँगों में
तपता हरा
हरा होने को
बारिश एक काफ़ी है
एक बार सिंच जाए
जो जीवन
रँग कितने रचती है
मृत्यु ।
—
16 नवम्बर 2009