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किताब मेरी! / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
रात हो गयी तू भी सो जा
मेरे साथ, किताब मेरी,
सपनों की दुनिया में खो जा
मेरे साथ, किताब मेरी!
बिछा दिया है बिस्तर तेरा
बस्ते के अन्दर देखो,
लगा दिया है कलर बॉक्स का
तकिया भी सुन्दर, देखो!
मुँहफुल्ली, अब तो ख़ुश हो जा
मेरे साथ किताब मेरी!
तुझे पता है, सुबह-सुबह
फिर जगना है हम दोनों को,
भागम-भागी में स्कूल
निकलना है हम दोनों को। |
फड़-फड़ न कर, अब चुप हो जा
मेरे साथ, किताब मेरी!