Last modified on 26 अप्रैल 2017, at 17:30

किनका के अँगना मे आलरी झालरी / अंगिका लोकगीत

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

प्रस्तुत गीत में लड़की द्वारा पिता से योग्य और खानदानी लड़के को ढूँढ़ने का अनुरोध किया गया है। ठग अैर बनिहार से विवाह होने पर वह लड़की को पीटेगा, जिसे वह सह लेगी; लेकिन वह उसके पिता को गाली देगा, जिसे सहना उसके लिए संभव नहीं।
लड़की सब कुछ सह सकती है, लेकिन अपने नैहर की शिकायत नहीं सह सकती।

किनका के अँगना में आलरी झालरी, झालरी बहै बतास हे।
ओहि तर आहो बाबा पलँग ओछावल<ref>बिछाया</ref>, घुरुमि<ref>घूम-घूमकर</ref> आबै नींद हे॥1॥
सुनहो हे अम्माँ माय पर हे परोसिन, सेहो कैसे सूतै निचिंत<ref>निश्चिंत</ref> हे॥2॥
एतना बचन जब सुनलन बाबा, चलि भेल मगहा मुँगेर हे।
हाथ लेल छरिया<ref>छड़ी</ref> पहिरीर लेल धोतिया, चलि भेल मगहा मुँगेर हे॥3॥
उत्तर खोजल बेटी दखिन खोजल, खोजल मगहा मुँगेर हे।
तोहरा जुगुत बेटी बर नहिं भेंटल, भेंटल ठक<ref>ठग</ref> बनिहार हे॥4॥
जनि दिहऽ आहो बाबा चोर चंडाल हााि, जनि दिहऽ ठक बनिहार हे।
छूछे<ref>खाली</ref> पोटरिया बाबा सहसर<ref>सहस्र</ref> गेठी<ref>गाँठ</ref> बन्हिह, मारत ठक बनिहार हे॥5॥
हमरा के मारत बाबा सेहो बलु<ref>बल्कि</ref> सहब<ref>सहूँगी</ref>, तोहरा के पढ़त लाख गारि हे॥6॥

शब्दार्थ
<references/>